RCEP से भारत का अंतिम समय में बाहर निकलना इस बात का संकेत है कि अमेरिकी व्यापार वार्ता क्यों अटक गई है :कृषि क्षेत्र की लाल रेखाएँ

RCEP से भारत का अंतिम समय में बाहर निकलना इस बात का संकेत है कि अमेरिकी व्यापार वार्ता क्यों अटक गई है :कृषि क्षेत्र की लाल रेखाएँ

  RCEP का मतलब है Regional Comprehensive Economic Partnership(क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी)।

ये एक मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) है, जिसमें 15 एशिया-प्रशांत देश शामिल हैं:

10 ASEAN देश: ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम

5 अन्य: चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड

     शुरुआत: इस पर हस्ताक्षर 15 नवंबर 2020 को हुए थे, और 1 जनवरी 2022 से लागू होना शुरू हुआ।

इसका मुख्य उद्देश्य

• सदस्य देशों के बीच शुल्क (tariff) कम करना या समाप्त करना

• व्यापार और निवेश को आसान बनाना

• सप्लाई चेन को मजबूत करना

• डिजिटल ट्रेड, बौद्धिक संपदा और सेवाओं पर सहयोग बढ़ाना

भारत क्यों इसमें नहीं है?

भारत ने शुरुआत में इसमें हिस्सा लिया, लेकिन 2019 में बाहर हो गया, क्योंकि उसे डर था कि

• चीन से सस्ते माल की बाढ़ आ सकती है

• किसानों और घरेलू उद्योग पर नकारात्मक असर होगा

• व्यापार घाटा और बढ़ सकता है

RCEP से बाहर निकलने के पीछे की “लाल रेखाओं” (non-negotiable points) और इसी तरह की वजहों से अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के अटकने से जुड़ी है।

•अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता क्यों अटक गई?

अमेरिका के साथ भी भारत की “लाल रेखाएँ” लगभग मिलती-जुलती रहीं:

कृषि में बाज़ार खोलने से हिचकिचाहट

अमेरिका चाहता था कि भारत अमेरिकी डेयरी, पोल्ट्री और कृषि उत्पादों के लिए बाज़ार खोले, लेकिन भारत ने किसानों के हित में इसे सीमित रखा।

डेटा लोकलाइजेशन और डिजिटल नियम

भारत चाहता था कि भारतीय नागरिकों का डेटा भारत में ही स्टोर हो; अमेरिका इसे डिजिटल व्यापार में बाधा मानता था।

टैरिफ पर टकराव

भारत कुछ अमेरिकी उत्पादों (जैसे मेडिकल डिवाइस, इलेक्ट्रॉनिक्स) पर ऊँचे टैरिफ रखता है; अमेरिका चाहता था कि इन्हें घटाया जाए।

बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)

दवाओं के पेटेंट और जेनेरिक दवाओं पर सख्त नियमों को भारत ने किसानों और मरीजों के हित में स्वीकार नहीं किया।

RCEP से भारत का अंतिम समय में बाहर निकलना इस बात का संकेत है कि अमेरिकी व्यापार वार्ता क्यों अटक गई है :कृषि क्षेत्र की लाल रेखाएँ से संकेत क्या मिलता है?

• भारत किसी भी बड़े व्यापार समझौते में कृषि, डेयरी, और संवेदनशील उद्योगों को बचाने के लिए कड़े रुख पर रहता है।

• “लाल रेखाएँ” मतलब — देशी किसानों, छोटे व्यापारियों और कुछ रणनीतिक क्षेत्रों में समझौता नहीं करना।

• अमेरिका और RCEP — दोनों जगह भारत की यही नीति रही कि

अगर हमारी शर्तें पूरी नहीं होंगी तो सौदा नहीं होगा

         

Leave a Comment